Gunjan Kamal

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यादों के झरोखे से " सात समंदर पार "

दोस्तों! यादों के झरोखे में सहेज कर रखी गई एक और याद लेकर फिर से आप सबके बीच आई हूॅं। कुछ महीनों पहले लेखनी पर ही दैनिक कहानी प्रतियोगिता का विषय था  " सात समंदर पार "। 

उस दिन दैनिक कहानी प्रतियोगिता के विषय देखते ही मुझे रूपेश की याद आ गई । अब आप सबको यह भी बता दूं कि यह रूपेश कौन है? मेरी यादों के झरोखों मैं कैद यह नाम है तो मुझसे ही जुड़ा कोई शख्स होगा इतना तो आप सब समझ ही सकते हैं। खैर छोड़िए! असल मुद्दे पर आते हैं ।

दोस्तों! रूपेश और मैं एक ही गाॅंव के तो है । मेरे घर से तीन घर छोड़कर उसका घर है । हम-उम्र होने के कारण हम दोनों हम दोनों एक ही क्लास में पढ़ें और हमारा स्कूल भी तो एक ही था । हम दोनों पढ़ाई में एक - दूसरे की मदद किया करते थे । मैंने आजतक उससे यह बात नहीं बताई लेकिन आज आप सभी से बताती  हूॅं । 😊😊
वह पढ़ने में मुझसे ज्यादा तेज था । 😔😔 उसके कारण क्लास में मैं हमेशा सेकेंड ही आती रही क्योंकि वह फर्स्ट आ जाता था । मैं कितनी भी कोशिश करती थी लेकिन उसके नंबर मुझसे एक दो ही सही लेकिन  ज्यादा ही आते थे और मैं मन ही मन कुढ़ते हुए अपने आप से कहती थी कि इस बार भी मैं दो नंबर से पीछे रह गई । खैर इसी तरह जलते - कुढ़ते हमने मैट्रिक की परीक्षा दी और दोनों ने ही फर्स्ट डिवीजन से पास किया । उस समय अखबार में रिजल्ट घोषित किया जाता था । जिस दिन हम मार्क शीट लेने स्कूल गए हम दोनों बहुत ही खुश थे लेकिन स्कूल से वापस लौटते समय वह खुश था और मैं उदास क्योंकि इस। बार तो रूपेश ने पाॅंच नंबर से बाजी मार ली थी । उसके मुझसे पाॅंच नंबर ज्यादा थे । 😔😔


दोस्तों! हमने बी. एस. सी तक साथ पढ़ाई की लेकिन मजाल है कि मेरे नंबर उसके नंबर से ज्यादा आ जाएं । मुझे तो लगता है मेरी सच्ची साथी ! मेरे और उसके नंबर ने शुरू से ही सांठ - गांठ कर ली होगी । दोनों ने एक-दूसरे से दोस्ती कर ली होगी और मेरा नंबर बेचारा ! दोस्ती निभाने के लिए कुर्बान हो जाता होगा । 😊😊
मेरी तो बी.एस. सी. के रिजल्ट आने की देरी थी । शादी होने में कोई देरी नहीं हुई । रिजल्ट आते ही " चट मंगनी पट शादी " वाली  कहावत चरितार्थ हो गई । शादी के बाद मैं भी घर - गृहस्थी में लग गई । इस बीच अपने गाॅंव ( मायके ) गई भी  लेकिन  रूपेश से मुलाकात  नहीं  हो पाई । मेरी शादी के  लगभग दो  साल बाद एक दिन मेरे पापा मेरे ससुराल आएं‌ और मेरी तरफ एक शादी का कार्ड बढ़ाते हुए कहा कि रूपेश ने तुम्हारे लिए शादी का कार्ड भिजवाया है और मुझे कहा है कि उससे कहिएगा उसे जरूर आना है । मैं भी उसकी शादी में जाने के लिए एक्साइटेड थी लेकिन ऐन वक्त पर यानी शादी से तीन दिन पहले मेरी सासू माॅं बाथरूम में फिसल गई और उनका पाॅंव टूट गया । अब उनको छोड़ कर मैं कैसे जाती ??

 
दोस्तों! मैं शादी में नहीं जा पाई । मुझे मेरे पापा ने बताया कि वह मुझसे बहुत गुस्सा हो गया था लेकिन किसी तरह पापा ने उसे शांत किया था । रूपेश की शादी के एक साल बाद मेरे भतीजे ( भाई का लड़का ) का जनेऊ ( उपनयन संस्कार ) होना था जिसमें मैं अपने मायके गई । भतीजे का जनेऊ था इसकारण माॅं ने सहायता के लिए मुझे एक सप्ताह पहले ही बुला लिया था । मैं मायके में ही थी तभी एक दिन रूपेश मेरे घर आया । उसे यह पता नहीं था कि मैं आई हुई हूॅं । मैं भी काम के सिलसिले में ही जब बाहर निकली तो वह मेरे पापा से जनेऊ की तैयारी के बारे में बात कर रहा था । मुझ पर जैसे ही नजर पड़ी वह दौड़ कर मेरे पास आया और कहने लगा कि तुम कब आई ??
मुझे तो लगा था कि वह मुझसे गुस्सा होगा , मुझसे बात नहीं करेगा लेकिन वह तो मुझे देख कर बहुत खुश था ।

 
दोस्तों! मेरे पापा ने कहा कि तुम दोनों बैठ कर बातें करों तब तक मैं दरवाजे पर की सफाई करवा लेता हूॅं । मैंने उसे पास पड़ी कुर्सी पर बैठने का इशारा किया और उसके सामने  वाली कुर्सी पर बैठ गई । हमने बहुत देर तक बातें की । मेरी शादी के बाद उसकी जिंदगी में जो कुछ हुआ उसने सब बातें बताई। उन्हीं बातों में से एक बात उसने ऐसी बताई जो ना तो मैंने पहले कभी देखा ही था और ना ही किसी से सुना ही था।

 
दोनों ! वह मुझसे पूछ रहा था कि जो उसने किया वह सही किया था ना ???
मैं कैसे उसे बताती कि मुझे नहीं पता कि तुमने सही किया या गलत ??
रूपेश ने जो बातें मुझे बताई वह इसप्रकार है :-👇

 
बी. एस. सी. करने के बाद वह जाॅब के लिए अलग - अलग विभाग में  फाॅर्म भरने लगा और तैयारी में भी जी - जान से जुट गया । इसी बीच उसकी माॅं की तबीयत ज्यादा खराब रहने लगी । घर में कोई और औरत नहीं होने के कारण उसे ही खाना बनाना पड़ता था । घर की साफ-सफाई , ख़ान - पान , माॅं की सेवा , छोटा  भाई जो उससे तीन साल छोटा था उसकी भी पढ़ाई-लिखाई , सब कुछ रूपेश के कंधे पर ही आ गया था क्योंकि रूपेश के पिता अब इस लायक नहीं थे कि  कुछ कर सकें । वह बड़ी मुश्किल से अपना क्रिया - कर्म ही कर पाते थे ।  रूपेश के पापा हाईस्कूल के  टीचर रह चुके थे  इसकारण उनको पेंशन मिलता था जिससे उसका घर चलता था । रूपेश को अपने छोटे भाई से भी ज्यादा मदद नहीं मिलती थी क्योंकि वह कहता था कि यह सब मुझे करना नहीं आता है इसलिए मैं नहीं कर पाऊंगा । रूपेश उसे माॅं के पास ले जाकर समझाता लेकिन वह नहीं समझता । इन सबके बीच उसकी जाॅब की तैयारी भी ठीक से नहीं हो पा रही थी । मेरे पापा ने ही रूपेश से कहा था कि तुम शादी कर लो । भाभी की सेवा करने के लिए कोई आ जाएंगी तो तुम जाॅब की तैयारी अच्छी तरह कर पाओगे । रूपेश जाॅब के बाद शादी करना चाहता था लेकिन अपनी माॅं और परिवार के लिए उसने शादी के लिए हाॅं कर दी और उसकी शादी प्रियंका से हो‌ गई । शादी के बाद वह दुगुनी तैयारी में लग गया और उसकी मेहनत का फल उसे मिला और उसने  पहले ही प्रयास में बी. एस. एफ. ( सीमा सुरक्षा बल ) में ए. सी. ( असिस्टेंट कमांडेंट ) की पोस्ट में रैंक हासिल कर ली ।

 
दोस्तों! जिस दिन उसका ज्वाइनिंग लेटर उसके घर पहुॅंचा। सब बहुत खुश थे लेकिन एक कोई था जो खुश नहीं था । मैंने 
 जब वह  नाम सुना तो एक पल को मुझे विश्वास ही नहीं हुआ कि  वह  रूपेश की जाॅब से खुश नहीं थी ?? आप सबने बिल्कुल 
 सही पहचाना ! वह रूपेश की माॅं  ही थी जो खुश नहीं थी । वह नहीं चाहती थी कि उनका बेटा उनसे दूर हो और इतनी दूर चला  जाएं । सबने उन्हें समझाने की अपनी - अपनी तरह से कोशिश की लेकिन वह समझने को तैयार ही नहीं थी । उनका कहना था कि मेरा बेटा इतना पढ़ा - लिखा है कि उसे यहीं पर बहुत अच्छी नौकरी मिल सकती है । जब मेरे पापा  रूपेश की माॅं  ( चाची ) को समझाने के लिए उनके पास गए तो वह उनके सामने रोने लगी और कहा कि भाई साहब ! आपने तो देखा ही हैं कि इस गाॅंव से कितने ही लड़के नौकरी करने के लिए सात समंदर पार ( अपने घर से दूर यानी दूसरे राज्यों को भी वह सात समंदर पार ही बोलती थी ) गए और पूरी तरह से लौट कर  नहीं  आएं । वह श्यामू का बेटा , उसकी माॅं मेरे पास आकर रोती है और कहती है कि कहकर गया था कि जल्दी आएगा और हमें भी अपने साथ लेकर जाएगा लेकिन दस साल हो गए आया ही नहीं । कभी - कभी फोन करता है और कहता है कि छुट्टी ही नहीं मिल रही है । कैसे आऊं ? यह भी चला गया तो कभी वापस नहीं आएगा और अपने छोटे बेटे से तो मुझे कोई उम्मीद ही नहीं है । पापा को भी कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि उन्हें कैसे समझाए ??


दोनों! रूपेश को गाॅंव के लोगों ने कहा कि तुम राजस्थान जाकर ड्यूटी ज्वाइन कर लों हम सब यहाॅं उनको संभाल लेंगे । अब आप सभी ही बताएं कि   रूपेश ने जाॅब और अपनी माॅं में से किसे चुना होगा? इस बार भी आप सभी ने सही समझा उसने अपनी माॅं को चुना और वह राजस्थान गया ही नहीं । वह  उस समय मुझसे जानना चाहता था कि उसने सही डिसीजन लिया या गलत । मैं कुछ बोलने जा ही रही थी कि मेरी माॅं वहाॅं पर आ गई और कहा कि जनेऊ वाला घर हैं लाखों काम है । उसने भी मुझे जाने का इशारा किया और मैं वहाॅं से उठ गई । मैंने सोचा था कि जनेऊ के बाद बातें करेंगे लेकिन हमें ऐसा मौका मिला ही नहीं । जनेऊ के दूसरे दिन ही मैं ससुराल आ गई ।

 
दोस्तों! मैं इस बात को लगभग भूल ही चुकी थी लेकिन एक साल पहले मेरे मोबाइल पर उसका काॅल आया । जब मैंने फोन उठाया तो  मेरी हलो सुनते ही मुझे उसकी सिसकियां सुनाई दी । वह रो रहा था । मैंने उसे पहले तो चुप कराया और पूछा कि क्या हुआ जो तुम रो रहें हो ??
उसने सिसकियों के साथ कहना शुरू किया :-
" मुझे कोई नहीं समझता । मेरी पत्नी मुझे हर समय ताना मारती रहती है कि एक अच्छा - खासा जाॅब छोड़ कर बिजली विभाग में नौकरी करते हो । मुझे तो तुम कुछ दे नहीं पाएं । पंद्रह साल से गाॅंव में ही पड़ी हूॅं । अगर आप बी.एस.एफ. वाली जाॅब करते तो हमें अलग - अलग शहरों में रहने को मिलता और हमारी लाइफ कुछ अलग ही होती और तो और प्रियंका यह भी कहती है कि जिस माॅं की खातिर वह जाॅब नहीं की वही माॅं अपने छोटे बेटे के साथ दिल्ली में रहती है और उसके बच्चों को संभालती है । हम यहाॅं नरक की जिंदगी जीने के लिए गाॅंव में पड़े हुए हैं । मैंने तुमसे एक दिन पूछा था कि मैंने सही किया या गलत । मैं आज तुमसे कहता हूॅं कि मैंने 100%  अपनी तरफ से सही किया लेकिन मेरी किस्मत ने मेरे साथ गलत किया और किसी ने मुझे समझने की कोशिश नहीं की । ना तो मेरी माॅं ने मुझे कभी समझा और ना ही मेरी पत्नी अब मुझे समझ रही है । वह बहुत देर तक रोता रहा और मैं उसको समझाती रही । मैंने उसे इस बीच यह भी समझाया कि वह कोई ग़लत कदम नहीं उठाए । उसने मुझसे कहा कि उसने अपनी तरफ से हमेशा ही सही कदम उठाया है भले ही दुनिया उस कदम को ग़लत समझें।

 
दोस्तों ! हम आज भी फोन पर बात करते हैं और उसे आज भी लगता है कि मैं उसे समझती हूॅं और मुझसे बातें करके उसका मन हल्का होता है । अब चलती हूॅं लेकिन एक वादे के साथ कि आप सभी से मिलने यादों के झरोखे के अगले भाग में अपनी ऐसी ही यादों के साथ आती रहूंगी। 

 
         🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻" बाय " 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻


                                                  धन्यवाद 🙏🏻🙏🏻


  " गुॅंजन कमल " 💗💞💓

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5 Comments

Rajeev kumar jha

07-Jan-2023 07:37 PM

शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻

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Nice 👍🏼

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